घनी हरियाली के बीच पक्षी युगल के संगीत का अंत आदि काव्य का आरंभ है अनेकानेक आतुर स्वरों का अंत आज के काव्य के विस्थापित अध्याय हैं।
हिंदी समय में ए. अरविंदाक्षन की रचनाएँ